Saturday, February 12, 2011

********** ऐसी वाणी बोलिए **********


आज मैं एक पत्रिका के एक लेख और अपने विचार आप सभी लोगो के साथ शेयर करना चाहता हूँ, तो लीजिए प्रस्तुत है वो लेख जिसका शीर्षक है

" ऐसी वाणी बोलिए "............


कबीरदास जी ने कहा है.......

ऐसी वाणी बोलिए, मन का आप खोये ,

औरन को शीतल करे आपहूँ शीतल होए !


वाणी से ही समस्त कार्य कार्य साढ़े जाते है और वाणी से ही बिगड जाते है! मीठी वाणी जहाँ व्यक्ति को सम्मान का पात्र बनाती है, वही अप्रिय वाणी व्यक्ति को नीचा दिखने पर विवश कर देती है! मुह से निकली गाली या अपशब्द सामने वाले को कित्तना आहात करते है ये तो पता नहीं, मगर हाँ , इससे हमारी जुबान जरुर गन्दी होती है! अक्सर लोग बातो-बातो में किसी को गली दे देते है,

पर शायद ये नहीं सोचते की जो अपशब्द हम सामने वाले व्यक्ति को कह रहे है, उनको सुनकर सामने वाले व्यक्ति पर क्या गुजरती होगी! अगर सामने वाला व्यक्ति भी आप जैसे मानसिक स्तर का है, तो उस पर गली का कोई फर्क नहीं पड़ेगा! संभव हो की वह आपसे भी अच्छी क्वालिटी की गालियाँ देकर अपने हदय को शांति दे दे! अगर कोई आपकी गली का जवाब गली से नहीं दे रहा , तो इसका मतलब ये नहीं की उसे गली नहीं आती या वो कमजोर है या डरता है! हो सकता है , वह आपका लिहाज करता हो या आदर या उसके संस्कार उसे ऐसा करने से रोकते हो!ऐसे में आपका फर्ज बनता है की आप अपने सम्मान को बनाये रखे और दुसरे का भी! अगर किसी की बात बुरी लगती है तो उसे एक अछे तरीके से समझाए की ये बात गलत है न की अपशब्द बोलकर!

अगर आप सम्मान या आदर सामने वाले से चाहते है तो आपको भी पूरा सम्मान करना होगा, वरना सम्मान या आदर की इच्छा भी नहीं करनी चाहिए, आपको ऐसी इच्छा रखने का बिलकुल भी हक नहीं बनता!

वैसे भी लुटाना तो एक बहाना है कुछ पाने का, ठीक इसी प्रकार सम्मान देना एक बहाना है सम्मान पाने का! और ये मेरा कहना नहीं है ये एक " सत्य " है जो सभी को मानना चाहिए, जो की एक महापुरुष ने मुझसे कहा है!

मेरा मानना है की किसी को दुःख देना इस संसार का सबसे सरल कार्य है पर खुशी के दो पल किसी को देना काफी मुश्किल, किन्तु नामुकिन बिलकुल भी नहीं इसलिए हमेशा दूसरों तक अपनी बात पहुचाने के लिए मीठी वाणी का ही सहारा लेना चाहिए अपशब्दों का नहीं!

कबीरदास जी के इस दोहे को एक महा मंत्र मानकर सभी को पूरी तत्परता के साथ इसका पालन करना चाहिए, और इसकी शुरुआत हमें अपने से ही करनी होगी.......


हम सुधरेंगे, जग सुधरेगा............


जय भारत

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